बिहार में फिर धरासाई हो एक पुल, 13 साल से बन रहा था

बिहार में फिर एक पुल धरसाई हो गया। इसके बनने का लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। पुल करीब 12 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा था। अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर पुल बन रहा था। मंगलवार को पुल के तीन पिलर नदी में समा गए। मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं।

बिहार में फिर धरासाई हो एक पुल, 13 साल से बन रहा था

अररिया। बिहार में अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बना पुल मंगलवार को नदी में समा गया। इस पुल को उद्घाटन का इंतजार था। पुल 12 करोड़ रुपए की लागत से बना था। पिछले 13 साल में यह पुल तीसरी बार बन रहा था। मंगलवार को पुल के 3 पिलर नदी में समा गए। पुल बनाने वाली कंपनी के लोग मौके पर पहुंच गए हैं। प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे हैं। सिकटी विधायक विजय मंडल ने आरोप लगाया निर्माण कंपनी के मालिक की लापरवाही के कारण पुल टूटा है। प्रशासन इसकी जांच कराए। ग्रामीण कार्य विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आशुतोष कुमार ने कहा कि जांच के बाद संबंधित कंपनी  के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि नदी का बहाव क्षेत्र बढ़ा तो पिलर्स खिसक गए। इस कारण पुल गिरा है। कुछ दिन पहले स्थानीय लोगों ने दो पिलर्स के बीच में नदी की धारा को मोडऩे के लिए मिट्टी की कटिंग की थी। इसकी वजह से गड्ढा हुआ और पिलर्स कमजोर हो गए।
2018 में पुल निर्माण को लेकर जगह बदली गई
2011 में पुल निगम ने बकरा नदी का पड़रिया घाट पर पुल निर्माण के लिए 11 करोड़ की स्वीकृति दी। पुल में चार पिलर बनने थे। तीन पिलर बनने के बाद नदी की धारा दूर चली गई। इसके बाद 2018 में पुल निर्माण को लेकर जगह बदली गई। फिर से 12 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हुई। दूसरी बार स्वीकृति मिलने के बाद पहले से बन रहे पुल से ही सटाकर चार पिलर बनाए गए। ये 2019 जून में तैयार हो गए। इसके बाद फिर बकरा नदी की धारा बदल गई। तीसरी बार करीब 12 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई। इस राशि से 181 मीटर लंबा 8 पिलर का पुल बनना था। तीसरा पुल जून 2020 तक बन जाना था लेकिन बाढ़ और कोविड के कारण काम में देरी हो गई। फिर नदी की धारा को मोड़कर यहां लाने की योजना बनाई गई।
बकरा नदी के दो बार धारा बदलने से पुल बेकार हो गया
बकरा नदी की धारा लगातार बदलते रहने और पुल निर्माण की तकनीकी खामियों के चलते काशी-कामख्या ऐतिहासिक सड़क पर अररिया-किशनगंज के बीच पिछले 13 साल में आवागमन चालू नहीं हो सका है। सड़क के बीच में आने वाली बकरा नदी पर सिकटी के पड़रिया धार में पुल बनना शुरू होते ही नदी ने दो बार धारा बदल ली, इसलिए पुल बेकार हो गया। अब तीसरी जगह पर पुल बनाया गया था। पिछले 13 वर्षों में पुल निर्माण के लिए 43 करोड़ की स्वीकृति मिली है। बारिश के अलावा 8 महीनों के दौरान लोग पैदल निकल जाते हैं, लेकिन बरसात के चार महीने सिकटी के लोगों को कुर्साकांटा आने में 15 से 20 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। पुल बनने से किशनगंज के टेढ़ागाछ प्रखंड से भी सीधा जुड़ाव हो जाता।